UP News: आखिर कौन है महात्मा बनादास, जिनके साहित्य को पढ़ेंगे विश्वविद्यालय के छात्र

महात्मा बनादास का जन्म 28 दिसंबर 1821 को गोंडा जिले के नवाबगंज के अशोकपुर गांव में एक बैस क्षत्रिय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम गुरुदत्त सिंह था। जीवन के प्रारंभिक वर्षों में गरीबी और संघर्ष का सामना किया। वे भिनगा (बहराइच) में सात वर्षों तक सेना में नौकरी करने के बाद अध्यात्म की ओर मुड़ गए। पुत्र की असामयिक मृत्यु के बाद उन्होंने घर छोड़ दिया और पूरे भारत में धार्मिक स्थलों का भ्रमण कर अयोध्या में बस गए। 





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उन्होंने रामघाट पर 14 वर्षों तक कठोर साधना की और कहा जाता है कि उन्हें ईश्वर का साक्षात्कार भी हुआ। उन्होंने 1851 से 1892 के बीच 64 ग्रंथों की रचना की। उनकी साधना स्थली अयोध्या के विक्टोरिया पार्क के पास स्थित ‘भवहरण कुंज आश्रम’ आज भी उनकी आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है। कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने कहा कि लोक संतों और साधकों की परंपरा को अकादमिक धरातल पर लाना हमारी जिम्मेदारी है। महात्मा बनादास को मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से जोड़ना इसी दिशा में एक कदम है।

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