सीमावर्ती इलाकों में विकास की नई राहें खुल रही हैं। इसी क्रम में भारत-नेपाल सीमा के पास जरवा क्षेत्र में विकसित ईको-पर्यटन स्थल आमजन के लिए खोल दिया गया। सोहेलवा वन्यजीव प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी मनोज कुमार और गैसड़ी विधायक राकेश यादव ने शुभारंभ किया।
कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, वनकर्मियों और ग्रामीणों की बड़ी संख्या में मौजूदगी ने इसे एक उत्सव का रूप दे दिया। हरे-भरे जंगलों, स्वच्छ हवा और स्थानीय संस्कृति के मेल से बना यह स्थल अब तराई के लोगों के लिए न सिर्फ पर्यटन का नया केंद्र बनेगा, बल्कि रोजगार और पर्यावरण संरक्षण का भी माध्यम साबित होगा। दारा नाला के पास रामपुर रेंज में बनाए गए इस ईको-पर्यटन स्थल में पांच किलोमीटर लंबा नेचर ट्रैक तैयार किया गया है। यह ट्रैक रेस्ट हाउस से शुरू होकर दारा नाला तक जाता है।
पर्यटकों को ट्रैक पर सिर्फ साइकिल से सैर की अनुमति होगी, जिससे जंगल की शांति और पारिस्थितिकी संरक्षित रहे। वन विभाग ने इस उद्देश्य से आठ साइकिल उपलब्ध कराई हैं। ट्रैक के अंतिम छोर पर बने वॉच टावर से जंगलों और नेपाल की तराई के पर्वतीय नजारों का मनमोहक दृश्य देखा जा सकता है। इस अवसर पर रामपुर रेंज अधिकारी प्रभात वर्मा, वीर बहादुर सिंह, ग्राम प्रधान शकील अहमद, हरीश मिश्रा सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण और पर्यावरण प्रेमी मौजूद रहे।
जरवा ईको पर्यटन स्थल तक पहुंचना अब आसान है। लखनऊ से तुलसीपुर तक ट्रेन और बस की सुविधा उपलब्ध है। तुलसीपुर से पर्यटक टैक्सी, ई रिक्शा या निजी वाहन से दारा नाला तक पहुंच सकते हैं। यह स्थल नेपाल सीमा से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है, जहां से पर्यटक नेपाल के पहाड़ों और हरियाली से भरे जंगलों का मनमोहक दृश्य देख सकते हैं। यह ईको पर्यटन स्थल सिर्फ एक परियोजना नहीं, बल्कि सीमांत क्षेत्रों के लिए उम्मीद और विकास का प्रतीक बन गया है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को नए अवसर मिलेंगे बल्कि भारत-नेपाल की मैत्रीपूर्ण सीमाओं पर पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को भी नई दिशा मिलेगी।
