Balrampur News: मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शाक्त परंपरा के ग्रंथ होंगे शामिल

बलरामपुर जिले में नवस्थापित मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान परंपरा के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में अब शाक्त परंपरा के प्रमुख ग्रंथ मार्कंडेय पुराण (दुर्गा सप्तशती) और श्रीमद् देवी भागवत महापुराण को शामिल किए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसे उच्च शिक्षा में शाक्त दर्शन को औपचारिक मान्यता देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।








मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रविशंकर सिंह ने बताया कि स्कूल ऑफ संस्कृत एंड एंशिएंट इंडियन लैंग्वेज के अंतर्गत इन ग्रंथों के अध्ययन के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम सलाहकार समिति का गठन किया गया है। समिति की अध्यक्षता लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति एवं संस्कृत के प्रख्यात विद्वान प्रो. मुरली मनोहर पाठक कर रहे हैं। समिति में प्रोफेसर राम सलाही, पूजा मिश्रा और डॉ. एके दीक्षित को सदस्य नामित किया गया है, जबकि प्रो. मंशाराम वर्मा को संयोजक की जिम्मेदारी सौंपी गई है।


यह समिति स्नातक और परास्नातक स्तर पर शाक्त परंपरा से जुड़े ग्रंथों के अध्ययन के लिए विस्तृत पाठ्यक्रम तैयार करेगी। इसके साथ ही श्री दुर्गा सप्तशती के गहन अध्ययन, शुद्ध पाठ, भावार्थ और दर्शन को समझने के लिए एक विशेष सर्टिफिकेट कोर्स भी विकसित किया जाएगा।


समिति अध्यक्ष प्रोफेसर मुरली मनोहर पाठक ने बताया कि मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय होगा, जहां शाक्त परंपरा के प्रमुख ग्रंथों की विधिवत विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाई कराई जाएगी। शिक्षाविदों का मानना है कि यह पहल न केवल विद्यार्थियों के लिए नए शैक्षणिक अवसर खोलेगी, बल्कि भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा को नई पीढ़ी से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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