बलरामपुर जिले की संवदेनशील तहसील उतरौला में धर्मांतरण और इस्लामिक एरिया विकसित करने की जमीन वर्ष 2013 में ही रख दी गई थी। तहसील के सादुल्लाह नगर थाने में बनी मजार को खतौनी में दर्ज कराया गया था। तत्कालीन विधायक आरिफ अनवर हाशमी के खिलाफ मामले की एफआईआर तत्कालीन जिलाधिकारी अरविंद सिंह के निर्देश पर भी दर्ज हुई थी, जिसमें आरोप था कि फर्जी अभिलेख के आधार पर उन्होंने अपने भाई मारूफ अनवर हाशमी को मजार शरीफ बाबा शहीदे मिल्लत अब्दुल कुद्दूस शाह रहमत उल्लाह अलैह का मुतवल्ली बनाया था।
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इस दौरान डीएम ने उतरौला तहसील के तीन थानों के प्रभारी निरीक्षकों के साथ ही पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए थे। मजिस्ट्रेटी जांच भी कराई, जिसमें पुलिस के अधिकारियों की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े किए थे। उस समय तत्कालीन डीएम ने करीब 100 पन्नों की रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय व गृह विभाग को भेजी थी। उस समय अंदेशा भी जताया था कि उतरौला में कुछ बड़ा हो रहा है, लेकिन पुलिस गंभीर नहीं है।
लेकिन तत्कालीन बलरामपुर डीएम की यह कार्रवाई आगे नहीं बढ़ सकी और फिर अचानक एसपी से टकराव की स्थिति में जिलाधिकारी का तबादला हो गया। अब एक बार फिर मामला चर्चा में है कि जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर जांच का दायरा बढ़ता तो तभी बड़े खुलासे हो जाते। अब जाकर छांगुर के मामले की कड़ी कहीं न कहीं सादुल्लाह नगर से जोड़ कर देखी जा रही है।
