Balrampur News : 86.91 करोड़ का फर्जी कारोबार दिखाकर,फर्जी फर्म बनाकर 23 करोड़ का किया आईटीसी घोटाला, रिपोर्ट दर्ज

बलरामपुर जिले में राज्य कर विभाग ने 23 करोड़ 11 लाख रुपये से अधिक के आईटीसी (इनपुट कर लाभ) घोटाले का भंडाफोड़ किया है। जांच में पता चला कि फिरोजाबाद जिले के निवासी एक युवक ने फर्जी दस्तावेजों के सहारे फर्म पंजीकृत कराई। इसका पता जिले के शिवपुरा क्षेत्र में दिखाया। फर्म से 86 करोड़ 91 लाख रुपये का कारोबार दिखाकर इनपुट कर लाभ (आईटीसी) हासिल किया।










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सहायक आयुक्त राज्यकर प्रवीण सिंह ने संदेह होने पर फर्म की जांच की शिवपुरा क्षेत्र में फर्म के बारे में पता लगाया। शिवपुरा में संदीप ओम इंटरप्राइजेज नाम की कोई फर्म नहीं मिली। इससे संदेह और बढ़ गया, इसके बाद फर्म के पंजीकरण से जुड़े प्रपत्र की जांच हुई। जांच में उजागर हुआ कि व्यापारी संदीप कुमार ने फर्जी किरायानामा और फर्जी बिजली बिल आनलाइन करके बलरामपुर जिले से फर्म का पंजीकरण कराया। यह तथ्य सामने आया कि जुलाई 2025 में बिना वास्तविक खरीद किए ही 86 करोड़ 91 लाख 74 हजार 600 रुपये की सामग्री आपूर्ति फर्म पर दिखाई इसके बाद 23 करोड़ 11 लाख 94 हजार 648 रुपये का इनपुट कर लाभ हासिल कर लिया है। इस तरह फर्जी प्रपत्रों के सहारे राज्यकर विभाग में बड़े स्तर पर घोटाला किया गया। फर्म माालिक संदीप कुमार का वास्तविक पता उसके अन्य अभिलेखों से 264 मोहल्ला टीला फिरोजाबाद होने की जानकारी हुई है। हालांकि इस पते पर न फर्म मिली और न ही फर्म मालिक की ही जानकारी हुई। सहायक आयुक्त ने पूरे मामले की रिपोर्ट कोतवाली देहात थाने में दर्ज कराई है। प्रभारी निरीक्षक गिरजेश तिवारी ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है। मामले में आरोपी के फर्म से जुड़े अभिलेख मांगे गए हैं फर्जी बिजली बिल व किरायेदारी प्रमाणपत्र लगाकर फर्जीवाड़ा जांच में बिजली बिल फर्जी पाया गया, जो बांकेपुर आपूर्ति कंपनी लिमिटेड से संबंधित बताया गया। इसी आधार पर फर्म का पंजीकरण करा लिया गया। जांच में यह स्पष्ट हो गया कि फर्म पूरी तरह फर्जी है और इसका कोई वास्तविक व्यापारिक लेन-देन नहीं है

आईटीसी घोटाला क्या है

टैक्स के जानकार रघुनंदन शुक्ल ने बताया कि इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जीएसटी की सुविधा है। इसमें व्यापारी खरीदे गए सामान या सेवा पर दिया गया टैक्स आगे की बिक्री पर समायोजित कर सकता है। फर्जी व्यापारी नकली फर्म खोलकर और जाली बिल व इनवॉइस बनाकर करोड़ों का कागज़ी कारोबार दिखाते हैं। असल में कोई सामान या सेवा का लेन-देन नहीं होता लेकिन व्यापारी सरकार से टैक्स क्रेडिट या रिफंड ले लेता है। बताया कि यही आईटीसी घोटाला है जिसमें सरकार को राजस्व नुकसान उठाना पड़ता है।

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