एक कहावत है कि समय बदलने में देर नहीं लगती है पहले यूपी बोर्ड परीक्षा में कभी केंद्र बनने के लिए सिफारिशें होती थीं। लेकिन वर्तमान समय में परिस्थितियों ने ऐसी करवट ली है, कि अब परीक्षा केंद्र की सूची से नाम हटवाने की पैरवी हो रही है। इसी का नमूना यह है कि जिले के पांच इंटर कॉलेज परीक्षा केंद्र की सूची में शामिल हैं, लेकिन अब यह कॉलेज बोर्ड परीक्षा कराने से हाथ खड़े कर रहे हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग उनकी आपत्तियों की पड़ताल करा रहा है। विभाग के अधिकारी भी इस तरह की आपत्तियों से हैरान हैं।
बलरामपुर जिले में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए पहली सूची में 61 इंटर कॉलेजों को केंद्र बनाया गया है। इसी को लेकर आपत्तियां भी ली जा रही है। करीब 40 आपत्तियां यूपी बोर्ड की बेवसाइट पर आईं हैं, जिसमें 32 इंटर कॉलेजों ने मानक पूरे होने का दावा करते हुए परीक्षा केंद्र बनाए जाने की मांग की। इसी में पांच इंटर कॉलेजों ने परीक्षा केंद्र की सूची से विद्यालय का नाम हटाने की मांग की है। इससे विभाग में खलबली मच गई है। वहीं, तीन विद्यालयों ने परीक्षा केंद्र दूर बनाए जाने पर आपत्ति की है। आपत्तियों के निस्तारण की प्रक्रिया शुरू होने पर परीक्षा केंद्र न बनाए जाने की बात सामने आई है। इसके बाद विभाग में बहस शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि अब परीक्षा के लिए बदले मानक में परीक्षा से विद्यालय कन्नी काट रहे हैं।
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य आरके शुक्ल कहते हैं कि राजकीय विद्यालयों में संसाधनों की कमी हो सकती है, इसलिए वह इन्कार कर रहे होंगे लेकिन निजी विद्यालय अब जांच और कार्रवाई से पीछे हट रहे हैं। सीसीटीवी और राउटर की निगरानी में नकल की गुंजाइश है नहीं, ऐसे में कमाई तो रह नहीं गई है। जबकि परीक्षा कराने पर अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है, जिसका भुगतान भी नहीं हो पाता है। कुछ खर्च तो ऐसे हैं जिनके भुगतान की व्यवस्था ही नहीं है। इससे भी निजी विद्यालय परीक्षा नहीं कराना चाहते हैं। कुछ विद्यालय अपनी साख बढ़ाने के लिए केंद्र बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन विद्यालयों को भी अब परीक्षा को लेकर सोच बदलनी चाहिए।
इन इंटर कॉलेजों ने परीक्षा कराने से खड़े किए हाथ
राजकीय आश्रम पद्धति इंटर कॉलेज बालापुर, जरवा तथा राजकीय हाईस्कूल महराजगंज तराई ने संसाधनों की कमी बताई है। बोर्ड परीक्षा के लिए परीक्षा केंद्र बनाए जाने पर गंभीर आपत्तियां दर्ज कराते हुए विभाग को केंद्र रद्द करने का प्रस्ताव भेजा है। आश्रम पद्धति इंटर कॉलेज बालापुर ने कक्ष, स्टाफ और सुविधाओं का भारी अभाव बताया। विद्यालय के प्रधान लिपिक राजाराम प्रजापति ने बताया कि विभाग को रिपोर्ट भेजी है, यहां प्रधानाचार्य तक नहीं हैं। कक्षा कक्षों की संख्या बेहद कम है, पर्याप्त कर्मचारी एवं शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। राजकीय हाईस्कूल महराजगंज तराई के प्रधानाध्यापक रामवचन ने बताया कि विद्यालय मात्र चार कमरों में संचालित है। विद्यालय में नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या 120, जबकि बोर्ड परीक्षार्थी 240 हैं। भवन में इतने परीक्षार्थियों को बैठाने की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। विद्यालय में सीसीटीवी कैमरा, वाइस रिकॉर्डर, जेनरेटर जैसी अनिवार्य सुविधाएं नहीं हैं। कंप्यूटर तो उपलब्ध है, परंतु ऑपरेटर नहीं है। इसी तरह राजकीय इंटर कॉलेज बहादुरगंज व दो वित्त विहीन विद्यालयों ने आपत्ति दर्ज कराई है।
किया जा रहा है निस्तारण
आपत्तियों का परीक्षण कर निस्तारण किया जा रहा है। अधिकारियों की टीम मौके की जांच करके रिपोर्ट ऑनलाइन दर्ज करेगी। यूपी बोर्ड से ही केंद्र के बारे में निर्णय होना है, वस्तुस्थिति से बोर्ड को अवगत करा दिया जाएगा। अभी अंतिम सूची जारी होनी है - मृदुला आनंद, जिला विद्यालय निरीक्षक बलरामपुर
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