देवीपाटन मंडल के साहित्यकारों की रचनाओं ने मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में जगह बना ली है। मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय के हिंदी भाषा के स्नातक पाठ्यक्रम में साहित्यकार प्रदीप मिश्र की पुस्तक नीम सूख रहा है को शामिल किया गया है। गोंडा के भी कई साहित्यकारों की रचनाओं को शामिल किया गया है।
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बलरामपुर जिले साहित्यकार प्रदीप मिश्र ने बताया कि उनका यह कहानी संग्रह वर्ष 2021 में प्रकाशित हुआ था, जिसमें कुल 15 कहानियां शामिल हैं। यह संग्रह सामाजिक सरोकारों और मानवीय संवेदनाओं को उजागर करता है। अब इसे विश्वविद्यालय स्तर पर पढ़ाया जाना साहित्यिक परंपरा के लिए गर्व की बात है। स्नातक तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रम में इंटरनेट पर उपलब्ध साहित्यकारों की सूची में बलरामपुर के अन्य साहित्यकारों को भी स्थान मिला है। इनमें कवि और शायर सुरेंद्र विमल, प्रो. पीसी गिरि, अरुण प्रकाश पांडेय, अनिल गौड़ और दिनेश त्रिपाठी के नाम शामिल हैं।
स्थानीय साहित्यकारों का कहना है कि बलरामपुर की धरती हमेशा से साहित्य और संस्कृति की उर्वर भूमि रही है। अब विश्वविद्यालय स्तर पर इन रचनाकारों को मान्यता मिलना नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक साबित होगा। इसी तरह गोंडा के महात्मा बनादास, डॉ. सूर्यपाल सिंह, डॉ. श्रीनारायण तिवारी, हीरा सिंह मधुर, स्वर्गीय चंडीदत्त शुक्ल सागर, शिवाकांत विद्राेही, शशांक भारतीय समेत कई साहित्यकारों की रचनाओं को शामिल किया गया है।
मां पाटेश्वरी देवी विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रमों को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार प्रयास हो रहा है। इसके लिए एक समिति नियमित कार्य कर रही है। विद्यार्थियों को स्थानीय साहित्यकारों के बारे में जानना चाहिए - प्रो० रविशंकर सिंह, कुलपति मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय, बलरामपुर
