छांगुर से सांठगांठ रखने वाले प्रशासनिक और राजस्व कर्मियों की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं। एटीएस के निशाने पर एक के बाद एक ऐसे लोग आ रहे हैं, जिन्होंने छांगुर को लाभ दिया और फिर उससे लाभ भी लिया। माना जा रहा है कि इस लाभ देने में राजस्व कर्मियों के साथ ही कुछ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं।
एटीएस ने अपनी जांच रिपोर्ट में इसके संकेत भी दिए हैं कि तहसील उतरौला में छांगुर की गहरी पैठ रही है। अब एटीएस उसी जांच रिपोर्ट के आधार छानबीन में जुटी है और गिरफ्तारी भी कर रही है। जनपद न्यायालय में कार्यरत बाबू राजेश उपाध्याय की गिरफ्तारी के साथ ही एटीएस की जांच का दायरा बढ़ गया है।
उतरौला सिविल जूनियर डिवीजन न्यायालय में वर्ष 2022 से 2024 तक तैनात रहे कर्मचारी व अधिकारी एटीएस के निशाने पर हैं। यही नहीं, जिले के कुछ आईपीएस अधिकारियों के मिलीभगत की भी शिकायते हुई हैं। एटीएस अभी छांगुर से जुड़े लोगों के बारे में पूरे सबूत जुटा रही है, जिनमें फिलहाल राजस्व कर्मी व अधिकारी शामिल हैं।
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हाल ही में नीतू व छांगुर की जिस कोठी को ढहाया गया, वह बंजर की जमीन पर बनी थी। इसके अलावा तालाब की जमीन छांगुर के नाम होना और नाबालिग से जमीन खरीद के बाद दाखिल खारिज होने के मामले की तह तक जाने से कई बड़े राज सामने आएंगे। इससे कई अधिकारियों की भी मुश्किल बढ़ेगी।