बलरामपुर जिले के सदर तहसील क्षेत्र के ग्राम बलरामपुर देहात में 42 वर्ष पुराने एक बड़े सरकारी जमीन घोटाले की जांच ने रफ्तार पकड़ ली है। जिला प्रशासन ने जमीन पर अवैध कब्जे के लिए तैयार किए गए फर्जी दस्तावेजों की परतें खोलनी शुरू कर दी हैं। डीएम पवन अग्रवाल के निर्देश पर चल रही जांच में अब तक कई चौकाने वाले तथ्य सामने आ चुके हैं। जांच पूरी होने के बाद 35 बीघे जमीन के दस्तावेजों को फर्जी तरीके से तैयार करने वाले भू-माफिया, राजस्व अधिकारी व कथित लाभार्थियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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सदर तहसील के ग्राम बलरामपुर देहात में वर्ष 1980 में चकबंदी शुरू हुई थी। 1982 में चकबंदी प्रक्रिया पूरी हुई। इसी दौरान जमीन घाेटाले की साजिश रची गई थी। सदर तहसील के ग्राम देहात में गाटा संख्या 1665 व 1671 की बहुमूल्य 35 बीघे सरकारी जमीन मृतक के नाम निजी खाता दिखाकर हड़पने की साजिश शुरू की गई थी। सहायक चकबंदी अधिकारी, चकबंदी लेखपाल, चकबंदीकर्ताओं की मिलीभगत से सरकारी जमीन को मोहम्मद शाह के नाम दर्ज कराया गया, जबकि जांच में इस नाम का कोई व्यक्ति गांव में नहीं था। जमीन पर फर्जी वसीयत करके मोहम्मद शाह को भूमिधर बना दिया गया।
फर्जी वसीयत की भी हो रही पड़ताल
मोहम्मद शाह को पहले फर्जी वसीयत से भूमिधर घोषित किया गया था। वर्ष 2017 में तत्कालीन चकबंदी अधिकारी कैलाश चंद्र भारती ने एक आदेश पारित करके उमानाथ, रघराज, विष्णु प्रताप व महेंद्र पाल को भूमि स्वामी बना दिया। इसके बाद तत्कालीन तहसीलदार व नायब तहसीलदारों ने बिना सत्यापन के जमीन का सीधे नामांतरण भी कर दिया था। फर्जी वसीयत के आधार पर मन्नरमाला नाम की महिला ने न्यायालय से आदेश हासिल करके खुद को भूमिधर घोषित करा लिया और इसी जमीन को बृजराज सिंह व संध्या सिंह समेत चार लोगों को बेच दी। इसी तरह से अजीज अहमद खां व रशीद अहमद खां के वारिसों ने अदालत से फर्जी आदेश हासिल करके जमीन पर हक जमा लिया और फिर यह जमीन महज एक रुपये में लखनऊ निवासी रमेश गुप्ता को दान कर दी। अब मामले में फर्जी वसीयत की भी पड़ताल हो रही है।
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जांच के बाद होगी कड़ी कार्रवाई
फर्जी तरीके से सरकारी जमीन हड़पने के मामले में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। नगर कोतवाली में 25 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराकर विवेचना शुरू कर दी गई है। विवेचक की रिपोर्ट के आधार पर सरकारी जमीन घोटाले में जाे भी व्यक्ति या अधिकारी दोषी मिलेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी - पवन अग्रवाल, डीएम बलरामपुर